महामति श्री प्राणनाथ वाणी




महामति श्री प्राणनाथ वाणी 

आज के विघटनकारी युग में जब हम मानव-मन के सूत्र ढूँढना चाहते हैं, तो बरबस | हमारी नजर महापुरुषों के जीवन तथा ज्ञान की ओर उठ जाती है। महामति श्री प्राणनाथ जी ने वाणी के रूप में जो जीवन, दर्शन तथा धर्मशास्त्र हमें दिया, उसमें भूत, वर्तमान तथा | भविष्य की अनेक उलझनों को सुलझाने के सूत्र हमें मिलते हैं। धर्म के नाम पर देश का बँटवारा, भाषा के नाम पर सीमा बन्दियाँ, ऊँच-नीच की भंयकर खाई, गोरे-काले की विकट समस्याएँ, छूत-अछूत का लज्जास्पद अन्तर- इन जालों ने मानव के पवित्र चरित्र को कलंकित कर रखा है। इन धब्बों से मुक्त कर मानव को सही निष्कलंक मानव के रूप में खड़ा करने की कला हमें महाप्रभु की वाणी से सीखना होगा। उनका अध्यात्मवाद तो एक गहन विषय है। उसका दिग्दर्शन उनके ग्रंथ श्री तारतम सागर को देखने से ही मिलेगा। लेकिन उनकी वाणी का विहंगम दृश्य संसार के सामने रखने का प्रयास लेखों, शोधकार्यों और साहित्य प्रकाशनों के माध्यम से किया जा रहा है।

धर्म मानव समाज को एक सूत्र में बाँधने की महत्वपूर्ण कड़ी है। यह कड़ी हमें तभी प्राप्त हो सकती है जब हम साम्प्रदायिकता से ऊपर उठ कर सभी धर्म ग्रन्थों में से मानव मन को मिलाकर उन्हें प्रेम-सूत्र में बाँधने के तरीके खोज निकालें। भिन्न दिखाई देने वाली बातों के मूल में भाषा, देश व वातावरण मात्र का भेद है, ऐसा महाप्रभु ने अपनी वाणी में स्पष्ट दिखा दिया है। तो भी कुछ एक कर्मकाण्ड, रहन-सहन, खान-पान की ऐसी बातें हैं। जिन्हें विवेक से सुलझाया जा सकता है अथवा उनकी ओर विशेष ध्यान न दे कर विविधता | में एकता की ओर दृष्टिपात करें और एक करने अथवा मिलाने वाली बातों का ही प्रचार करें प्रेम, सहिष्णुता, भ्रातृभाव और एकात्मभाव से ही विश्व शान्ति सम्भव है। आसुरि प्रवृतियों के प्रबल प्रवाह से मानव जाति का विनाश रोकने के लिए हमें धर्म के शाक्षत मूल्यों को जीवन में उतार कर उनका ही प्रचार करना चाहिये। नहीं तो परिणाम विस्फोटक होगा।

विज्ञान ने ऐश्वर्य तथा सम्पदा देकर मानव की अपार सेवा की है और शरीर, देश तथा ग्रहों की दूरी को नगण्य बना दिया है, परन्तु यह स्पष्ट है कि सम्पदा के संग्रह की बेसिर-पैर की दौड़ ने मनुष्यों के मनों के बीच एक अलंघ्य खाई खोद दी है। उस खाई को पाटने के लिए हमें धर्म की शरण में जाना होगा। धर्म को सही रूप में समझ न पाने के कारण मानव ने भंयकर अपराध किए हैं। महाप्रभु का ज्ञान धर्मों को समझने तथा उनमें छिपे रहस्यों को जानने के लिए एक अपूर्व कुंजी का काम करता है। इसमें कहीं एक चौपाई में तो कहीं प्रकरण में लगभग सभी धर्म ग्रंथों की न समझ आने वाली बातों को स्पष्ट कर दिया गया है। - (श्रीमती विमला मेहता श्री प्राणनाय मिशन दिल्ली)

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